इस अध्याय में हम पढ़ेंगे :-
तत्पुरुष समास की परिभाषा (tatpurush samas ki paribhasha)
जिस समास में उत्तर पद अर्थात् दूसरा पद प्रधान हो तत्पुरुष समास कहलाता है। इसकी पहचान यह है कि समास विग्रह करने पर विभक्ति चिह्न नजर आते हैं। कर्त्ताता और सम्बोधन को छोड़कर अन्य कारक चिह्नों के आधार पर इन्हें कर्म तत्पुरुष, करण तत्पुरुष आदि कहा जाता है।
तत्पुरुष समास के भेद (tatpurush samas ke bhed)
सामन्यता हमारे मन में एक प्रश्न होता है की तत्पुरुष समास के भेद कितने होते हैं ? चलिए आइये जानते हैं :-
(1) कर्म तत्पुरुष (‘को’) का लोप
कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण
जितेंद्रिय | इंद्रियो को जीतने वाला |
विद्याधर | विद्या को धारण करने वाला |
जेबकतरा | जेब को काटने वाला |
विकासोन्मुख | विकास को उन्मुख |
मनोहर | मन को हरने वाला |
सिद्धिप्राप्त | सिद्धि को प्राप्त |
शरणागत | शरण को गया हुआ |
वयप्राप्त | वय को प्राप्त |
स्वर्गप्राप्त | स्वर्ग को प्राप्त |
कष्टापन्न | कष्ट को आपन्न (प्राप्त) |
गृहागत | गृह को आगत |
विरोध जनक | विरोध को जन्म देना वाला |
मुँहतोड़ | मुँह को तोड़ने वाला |
यश प्राप्त | यश को प्राप्त |
तर्कसंगत | तर्क को संगत |
ख्याति प्राप्त | ख्याति को प्राप्त |
(2) करण तत्पुरुष (से, के द्वारा)के लोप से बनने वाले
हस्तलिखित | हस्त द्वारा लिखित |
बिहारीरचित | बिहारी द्वारा रचित |
मनमाना | मन से माना |
शोकातुर | शोक से आतुर |
करुणापूर्ण | करुणा से पूर्ण |
शोकाकुल | शोक से आकुल |
जलसिक्त | जल से सिक्त |
पददलित | पद से दलित |
देश निकाला | देश से निकाला |
अकालपीड़िता | अकाल से पीड़िता |
हृदयहीन | हृदय से हीन |
प्रेमसिक्त | प्रेम से सिक्त |
रणविमुख | रण से विमुख |
कृष्णार्पण | कृष्ण के लिए अर्पण |
वज्राहत | वज्र से आहत |
भुखमरा | भूख से मरा |
श्रमजीवी | श्रम से जीने वाला |
शोकाकुल | शोक से आकुल |
मेघाच्छन्न | मेघ से आछन्न |
पददलित | पद से दलित |
महिमामंडित | महिमा से मंडित |
वाग्युद्ध | वाक् से युद्ध |
आचारकुशल | आचार से कुशल |
नीतियुक्त | नीति से युक्त |
मुँहमाँगा | मुँह से माँगा |
रेखांकित | रेखा के द्वारा अंकित |
जग-हँसाई | जग के द्वारा हँसी |
लोक सत्य | लोक द्वारा सत्य |
क्रियान्विति | क्रिया के द्वारा अन्विति |
मोहांध | मोह से अंधा |
(3) संप्रदान तत्पुरुष (के लिए) के लोप से बनने वाला
परीक्षाभवन | परीक्षा के लिए भवन |
स्नानघर | स्नान के लिए घर |
छात्रावास | छात्रों के लिए आवास |
मार्गव्यय | मार्ग के लिए व्यय |
युद्धक्षेत्र | युद्ध के लिए क्षेत्र |
भूतबलि | भूतों के लिए बलि |
भण्डारघर | भण्डार के लिए घर |
हवनकुण्ड | हवन के लिए कुण्ड |
पुत्रशोक | पुत्र के लिए शोक |
देशभक्ति | देश के लिए भक्ति |
देवालय | देव के लिए आलय |
बालामृत | बालकों के लिए अमृत |
पाकशाला | पाक के लिए शाला |
सत्याग्रह | सत्य के लिए आग्रह |
यज्ञशाला | यज्ञ के लिए शाला |
रंगमंच | रंग के लिए मंच |
देवार्पण | देव के लिए अर्पण |
विधानसभा | विधान के लिए सभा |
सभामंडप | सभा के लिए मंडप |
रसोई घर | रसोई के लिए घर |
घुड़साल | घोड़ो के लिए साल (भवन) |
हथकड़ी | हाथ के लिए कड़ी |
गुरुदक्षिणा | गुरु के लिए दक्षिणा |
(4) अपादान तत्पुरुष (से) अलग होने के अर्थ में
बंधन मुक्त | बंधन से मुक्त |
पदच्युत | पद से च्युत |
पथभ्रष्ट | पथ से भ्रष्ट |
धर्मविमुख | धर्म से विमुख |
स्थानच्युत | स्थान से च्युत |
ईश्वरविमुख | ईश्वर से विमुख |
शक्तिहीन | शक्ति से हीन |
लक्ष्यभ्रष्ट | लक्ष्य से भ्रष्ट |
सेवानिवृत | सेवा से निवृत |
लाभरहित | लाभ से रहित |
कर्त्तव्यविमुख | कर्त्तव्य से विमुख |
लोकविरूद्ध | लोक से विरूद्ध |
नेत्रहीन | नेत्र से हीन |
स्थानभ्रष्ट | स्थान से भ्रष्ट |
भयभीत | भय से भीत |
ऋणमुक्त | ऋण से मुक्त |
देश निकाला | देश से निकाला हुआ |
(5) संबंध तत्पुरुष (का,के, की) के लोप से बनने वाला
गंगाजल | गंगा का जल |
अन्नदान | अन्न का दान |
राजभवन | राजा का भवन |
विद्यासागर | विद्या का सागर |
गुरुसेवा | गुरु की सेवा |
राजदरबार | राजा का दरबार |
मृगछौना | मृग का छौना |
चरित्रचित्रण | चरित्र का चित्रण |
चन्द्रोदय | चन्द्र का उदय |
राष्ट्रपति | राष्ट्र का पति |
गृहस्वामी | गृह का स्वामी |
कूपजल | कूप का जल |
लखपति | लाखों का पति |
राजकन्या | राजा की कन्या |
पितृभक्त | पिता का भक्त |
राजकुमार | राजा का कुमार |
सेनापति | सेना का पति |
गोदान | गो का दान |
प्रेमोपासक | प्रेम का उपासक |
रामोपासक | राम का उपासक |
अनारदाना | अनार का दाना |
विभाध्यक्ष | विभाग का अध्यक्ष |
राजपुरूष | राजा का पुरूष |
घुड़दौड़ | घोड़ों की दौड़ |
पर्णशाला | पर्णों की शाला |
सूर्योदय | सूर्य का उदय |
जगन्नाथ | जगत् का नाथ |
चंद्रोदय | चंद्र का उदय |
मतदाता | मत का दाता |
मंत्रिपरिषद् | मंत्रियों की परिषद |
सत्रावसान | सत्र का अवसान |
अछूतोद्धार | अछूतों का उद्धार |
मनः स्थिति | मन की स्थिति |
प्राणाहुति | प्राणों की आहुती |
मनोविकार | मन का विकार |
रामायण | राम का अयन |
पुस्तकालय | पुस्तक का आलय |
चर्मरोग | चर्म का रोग |
रंगभेद | रंग का भेद |
रूपांतर | रूप का अंतर |
पथपरिवहन | पथ का परिवहन |
मंत्रिपरिषद् | मत्रियों की परिषद् |
(6) अधिकरण तत्पुरुष (में,पर) का लोप
वीरश्रेष्ठ | वीरों में श्रेष्ठ |
जलमग्न | जल में मग्न |
सिंहासनारुढ़ | सिंहासन पर आरुढ़ |
शरणागत | शरण में आगत |
विश्वविख्यात | विश्व में विख्यात |
क्षत्रियाधम | क्षत्रियों में अधम |
व्यवहारकुशल | व्यवहार में कुशल |
नरोत्तम | नरों में उत्तम |
क्षत्रियाधम | क्षत्रियों में अधम |
आत्मनिर्भर | आत्म पर निर्भर |
शास्त्रप्रवीण | शास्त्रों में प्रवीण |
गृहप्रवेश | गृह में प्रवेश |
ग्रामवास | ग्राम में वास |
नराधम | नरों में अधम |
कार्यकुशल | कार्य में कुशल |
कविश्रेष्ठ | कवियों में श्रेष्ठ |
मुनिश्रेष्ठ | मुनियों में श्रेष्ठ |
हरफनमौला | हर फन में मौला |
आत्मनिर्भर | आत्म पर निर्भर |
तर्ककुशल | तर्क में कुशल |
लोकप्रिय | लोक में प्रिय |
कर्मनिष्ठ | कर्म में निष्ठ |
वाग्वीर | वाक् (बोलने) में वीर |
सर्वोत्तम | सर्व में उत्तम |
मुनिश्रेष्ठ | मुनियों में श्रेष्ठ |
कविराज | कवियों में राजा |
धर्मरत | धर्म में रत |
कानाफूसी | कान में फुसफुसाहट |
वनवास | वन में वास |
ध्यानमग्न | ध्यान में मग्न |
(7) नञ तत्पुरुष
नञ तत्पुरुष समास के अंतर्गत पहला खंड नकारात्मक अर्थात् न, ना, अ अथवा अन् उपसर्ग होता है। इस समास से अभाव या निषेध का अर्थ प्रतीत होता है।
नञ तत्पुरुष समास के उदाहरण
अयोग्य | न योग्य |
अनाथ | न नाथ |
अपठित | न पठित |
नालायक | न लायक |
अपरिचित | न परिचित |
असभ्य | न सभ्य |
अनादि | न आदि |
असंभव | न संभव |
अनंत | न अंत |
FAQ
तत्पुरुष समास के उदाहरण क्या है?
मूर्ति को बनाने वाला — मूर्तिकार काल को जीतने वाला — कालजयी राजा को धोखा देने वाला — राजद्रोही खुद को मारने वाला — आत्मघाती
तत्पुरुष समास को कैसे पहचाने?
जिस समस्तपद में ‘पूर्वपद’ गौण तथा उत्तरपद’ प्रधान होता है, वहाँ तत्पुरुष समास होता है।
तत्पुरुष कितने प्रकार के होते हैं?
7
कर्म तत्पुरुष समास क्या है?
जिस समास का उत्तरपद अर्थात अंतिम पद प्रधान हो और पूर्वपद गौण एवं ‘को’ चिह्न का लोप हो वहां कर्म तत्पुरुष समास होता है।
तत्पुरुष समास से सम्बंधित प्रश्न (tatpurush samas)
Q.16
विशेषण और विशेष्य के योग से कौन-सा समास बनता है?
1
कर्मधारय समास
2
द्विगु समास
3
द्वन्द्व समास
4
तत्पुरुष समास
Q.17
‘मनमाना’ समास शब्द का समास विग्रह होगा-
1
मन ही मन में
2
मन से माना
3
मनपसन्द
4
मन के अनुसार
Solution
मनमाना = मन से माना (करण तत्पुरुष समास)।
- करण तत्पुरुष समास – करण कारक के चिह्न- ‘से/के द्वारा’ के लोप से बनने वाला समास;
जैसे- ईश्वरदत्त= ईश्वर के द्वारा दत्त।
Q.18
‘महाकवि’ समास पद का समास-विग्रह होगा-
1
कवियों में महान
2
कवियों का कवि
3
महान है जो कवि
4
कवियों में राजा
Solution
महाकवि = महान है जो कवि (कर्मधारय समास)
कर्मधारय समास:- ‘दूसरा पद प्रधान’ इस समास में विशेषण और विशेष्य अर्थात् उपमान और उपमेय के अर्थ बोध होता है।
Q.19
भरपेट शब्द में कौन-सा समास है?
1
अव्ययीभाव समास
2
द्विगु समास
3
कर्मधारय समास
4
तत्पुरुष समास
Solution
- ‘भरपेट’ में अव्ययीभाव समास है। भरपेट का समास विग्रह इस प्रकार है– पेट भरकर। अव्ययीभाव समास के अन्य उदाहरण इस प्रकार हैं– आजीवन, यथाशक्ति, यथायोग्य, भागमभाग इत्यादि।
Q.20
‘कामचोर’ समास रूप का सही समास-विग्रह होगा –
1
काम-धन्धा न होना
2
काम से जी चुराने वाला
3
कोई काम नहीं करना
4
काम देखकर मुँह फेरना
Solution
कामचोर-काम से जी चुराने वाला (अपादान तत्पुरुष समास)
- अपादान तत्पुरुष समास – अपादान कारक चिह्न से (अलग होने के अर्थ में) के लोप से बनने वाला समास; जैसे – शोभाहीन – शोभा से हीन, पथभ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट आदि।
Q.21
किस विकल्प में संबंध तत्पुरुष समास है?
1
असत्य
2
बैलगाड़ी
3
दिलतोड़
4
चाय-बागान
Solution
चाय – बागान = चाय के बागान (सम्बन्ध तत्पुरुष समास)।
- सम्बन्ध तत्पुरुष समास – संबंध कारक चिह्न – ‘का, के, की’ – के लोप से बनने वाला समास; जैसे – भारतवासी – भारत का वासी, नर-बलि – नर की बलि आदि।
- असत्य – सत्य नहीं (अव्ययीभाव समास) नञ् तत्पुरुष समास का उदाहरण भी अगर अव्ययीभाव समास न दिया हो तो।
- बैलगाड़ी – बैल से चलने वाली गाड़ी (लुप्त पद तत्पुरुष समास)
- दिलतोड़–दिल को तोड़ने वाला (कर्म तत्पुरुष समास)
Q.22
सम्प्रदान तत्पुरुष समास का उदाहरण है :-
1
यशप्राप्त
2
प्रतिपल
3
पथपरिवहन
4
समाचार-पत्र
Q.23
निम्नलिखित में से किस में द्विगु समास नहीं है?
1
आमरण
2
त्रिफला
3
षड्ऋतु
4
नवनिधि
Q.24
निम्नलिखित में से किस विकल्प में अव्ययीभाव समास नहीं है?
1
टालमटोल
2
इच्छानुसार
3
पथभ्रष्ट
4
दिनभर
Solution
- त्रिभुवन – तीन भुवन (संसार) का समाहार (द्विगु समास)
- नीरोग, साफ-साफ, भरपूर में अव्ययीभाव समास है।
अव्ययीभाव समास:-
(i)पहला पद प्रधान होता है।
(ii) पहला पद या पूरा पद अव्यय होता है।
(वे शब्द जो लिंग, वचन, कारक के अनुसार नहीं बदलते, उन्हें अव्यय कहते हैं।)
(iii) यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति हो और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की तरह प्रयुक्त हो, वहाँ भी अव्ययी समास होता है।
(iv) संस्कृत के उपसर्ग युक्त पद भी अव्ययीभाव समास होते हैं।
Q.25
किस विकल्प में बहुव्रीहि समास नहीं है?
1
रमापति
2
त्रिलोचन
3
षडानन
4
सप्ताह
Solution
-सप्ताह = सात दिनों का समूह (द्विगु समास)
- द्विगु समास:-
(i) द्विगु समास ने प्राय: पूर्व पद संख्या वाचक होता है तो कभी – कभी परपद भी संख्यावाचक देखा जा सकता है।
(ii) द्विगु समास में प्रयुक्त संख्या किसी समूह का बोध कराती है अन्य अर्थ का नहीं, जैसे कि बहुव्रीहि समास में देखा जाता है।
जैसे – तिरंगा, सतरंग आदि। - रमापति = रमा का पति है जो – विष्णु(बहुव्रीहि समास)
- त्रिलोचन = तीन है लोचन (आँखें) जिनकी – शिव(बहुव्रीहि समास)
- षडानन = षट् (छह) है आनन (मुँह)
जिसके, वह स्वामी कार्तिकेय(बहुव्रीहि समास)